हल्द्वानी (उत्तराखंड), 10 फरवरी (भाषा) उत्तराखंड के हिंसाग्रस्त हल्द्वानी शहर के बाहरी इलाकों से कर्फ्यू हटा लिया गया है, लेकिन बनभूलपुरा क्षेत्र में यह लागू रहेगा जहां बृहस्पतिवार को एक अवैध मदरसे को तोड़े जाने को लेकर भीड़ ने आगजनी और तोड़फोड़ की थी।.
हिंसा की घटनाओं की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं और जांच 15 दिन के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया गया है।.
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि कुमाऊं के आयुक्त दीपक रावत मजिस्ट्रेट जांच करेंगे और 15 दिन के भीतर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।
नैनीताल की जिलाधिकारी वंदना सिंह ने शनिवार को कर्फ्यू बनभूलपुरा तक सीमित करने का आदेश जारी किया।
आदेश में कहा गया है कि कर्फ्यू अब समूचे बनभूलपुरा क्षेत्र तक सीमित रहेगा जिसमें आर्मी छावनी (वर्कशॉप लाइन समेत)-तिकोनिया-तीनपानी और गौलापार बाईपास की परिधि का क्षेत्र शामिल है।
इसमें कहा गया है कि नैनीताल-बरेली मोटर रोड पर वाहनों की आवाजाही और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों पर कोई पाबंदी नहीं रहेगी। हालांकि, उन इलाकों में केवल अस्पताल और दवा की दुकानें ही खुली रहेंगी, जहां कर्फ्यू लागू है।
शहर के बाहरी इलाके में दुकानें शनिवार को खुलीं, लेकिन स्कूल बंद हैं।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी), कानून-व्यवस्था ए.पी. अंशुमन ने ‘पीटीआई-वीडियो’ को बताया, ‘‘प्रभावित इलाके में लगातार गश्त की जा रही है और स्थिति नियंत्रण में है।’’
अंशुमन फिलहाल हल्द्वानी में डेरा डाले हुए हैं।
उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार की हिंसा में शामिल पांच लोगों को अभी तक गिरफ्तार किया गया है और तीन प्राथमिकियां दर्ज की गयी हैं।
एडीजी ने कहा कि तीन प्राथमिकियों में 16 लोगों को आरोपी बनाया गया है। उनमें से पांच को गिरफ्तार कर लिया गया है और शेष अन्य को भी जल्द ही पकड़ लिया जाएगा।
एडीजी ने कहा कि बनभूलपुरा इलाके में कर्फ्यू अभी लागू है। हालांकि, निवासियों को समय-समय पर आवश्यक सामान खरीदने की अनुमति दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि काठगोदाम तक रेल सेवाएं भी बहाल कर दी गयी हैं।
उन्होंने बताया कि अभी कहीं से भी किसी और अप्रिय घटना की सूचना नहीं है।
अधिकारियों के अनुसार, बृहस्पतिवार को हुई हिंसा में छह दंगाइयों की मौत हो गयी और 60 से अधिक लोग घायल हुए। स्थानीय लोगों ने नगर निगम कर्मियों और पुलिस पर पथराव किया और पेट्रोल बम फेंके थे, जिससे कई पुलिसकर्मियों को एक थाने में शरण लेनी पड़ी