मुंबई, (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य सरकारों को युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों का दायरा बढ़ाना होगा जिससे वे देश को आत्मनिर्भर बनाने में सहयोग करेंगे।.
महाराष्ट्र में 511 ‘प्रमोद महाजन ग्रामीण कौशल्य विकास केंद्रों’ का उद्घाटन वीडियो लिंक के माध्यम से करने के बाद मोदी ने कहा कि राज्य सरकारों को इस तरह से कौशल विकास कार्यक्रम तैयार करने चाहिए कि वे देश के विकास में मदद करें।.
एक सरकारी वक्तव्य के अनुसार पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे दिवंगत प्रमोद महाजन के नाम पर इन ग्रामीण कौशल्य विकास केंद्रों की स्थापना महाराष्ट्र के 34 ग्रामीण जिलों में की जा रही है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि हमें पता लगाना चाहिए कि किन क्षेत्रों में कौशल विकास से देश को मजबूती मिलेगी।
मोदी ने कहा, ‘‘समय की जरूरत है कि विनिर्माण क्षेत्र में ऐसे उत्पाद बनाये जाएं जिनमें कोई भी खराबी नहीं हो, सरकारों को सेवा क्षेत्र, ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था और आधुनिक प्रौद्योगिकी में भी नये कौशल पर ध्यान देने की जरूरत है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में कौशल विकास पर ध्यान दिया जाना चाहिए जिससे देश को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों ने युवाओं के कौशल विकास के बारे में कोई दृष्टिकोण पेश नहीं किया या गंभीरता नहीं दिखाई। उन्होंने कहा, ‘‘यही कारण है कि औद्योगिक क्षेत्र में युवाओं की मांग और उनमें प्रतिभा होने के बावजूद युवाओं को इसकी कीमत चुकानी पड़ी।’’
मोदी ने कहा कि उनके कार्यकाल में अलग कौशल विकास मंत्रालय बनाया गया और 1.30 करोड़ युवाओं को कौशल विकास कार्यक्रमों से लाभ मिला।
उन्होंने कहा, ‘‘आदिवासी, गरीब, दलित और पिछड़े वर्गों के युवा सच्चे लाभार्थी रहे।’’
उन्होंने कहा कि स्वयं-सहायता समूहों के माध्यम से देश में तीन करोड़ से अधिक महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण मिला है।
मोदी ने कहा कि कृषि क्षेत्र को भी प्राकृतिक कृषि, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्द्धन, कृषि उत्पादों की पैकेजिंग और ब्रांडिंग के लिए नये कौशल की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि निर्माण, स्वास्थ्य, पर्यटन, सत्कार, शिक्षा और परिवहन जैसे क्षेत्रों में दुनियाभर में कुशल युवाओं की बहुत मांग है।
मोदी ने कहा, ‘‘दुनिया में 16 देश हैं जो 40 लाख कुशल युवाओं की भर्ती करना चाहते हैं। भारत अपने युवाओं को न केवल देश के लिए बल्कि अन्य देशों के लिए भी प्रशिक्षण दे रहा है। दुनियाभर में कुशल युवाओं की बहुत मांग है।’’
प्रधानमंत्री ने सामाजिक न्याय को मजबूत करने में भी कौशल विकास योजनाओं की भूमिका को रेखांकित किया और डॉ बी आर आंबेडकर के इस सिद्धांत का उल्लेख किया कि औद्योगिकीकरण से दलितों, पिछड़े वर्गों और आदिवासियों के उत्थान में मदद मिलती है।
महिला शिक्षा में 19वीं सदी की समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले के योगदान को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ज्ञान और कौशल वाले लोग ही समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई फुले महिलाओं की शिक्षा और प्रशिक्षण पर उनकी सरकार के जोर देने के पीछे प्रेरणा रही हैं।
मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत परंपरागत कारीगरों को प्रशिक्षण, आधुनिक उपकरण और वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है और सरकार इस पर 13,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।
उन्होंने कहा कि समाज का कर्तव्य है कि श्रम की गरिमा और कौशल वाले कार्यों के महत्व को पहचाने।
महाराष्ट्र सरकार की एक विज्ञप्ति के अनुसार प्रत्येक ग्रामीण कौशल्य विकास केंद्र कम से कम दो व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में करीब 100 युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करेगा। यह प्रशिक्षण राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद के तहत सूचीबद्ध औद्योगिक साझेदार और एजेंसियां देंगी।
राज्य सरकार इस योजना के माध्यम से छह महीने के पाठ्यक्रम में हर साल 50,000 युवाओं को प्रशिक्षित करना चाहती है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्रियों अजित पवार तथा देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई स्थित राज्य सरकार के सह्याद्रि अतिथिगृह से कार्यक्रम में भाग लिया।
शिंदे ने कहा कि कौशल्य विकास केंद्र ‘रोजगार निर्माण के मंदिर’ बनेंगे। उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार से पहले किसी सरकार ने इस बात को नहीं पहचाना था कि युवा बहुमूल्य संसाधन हैं।
पवार ने कहा कि ये कौशल प्रशिक्षण केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार क्रांति लाएंगे। फडणवीस ने कहा कि ये केंद्र पांच लाख युवाओं को लाभान्वित करेंगे।