नयी दिल्ली, (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी20 नेताओं को संबोधित करते हुए शनिवार को कहा कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुई और यूक्रेन युद्ध के कारण गहरी हुई दुनिया में विश्वास की कमी को एक-दूसरे पर भरोसे में तब्दील किया जाना चाहिए।.
मोदी ने अफ्रीकी संघ को जी20 समूह में शामिल किए जाने की घोषणा की। जी20 की 1999 में स्थापना किए जाने के बाद इसका पहली बार विस्तार किया गया है।.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता देश के भीतर और बाहर समावेशिता का प्रतीक बन गई है। उन्होंने कहा कि यह वैश्विक कल्याण के लिए सभी के एक-साथ मिलकर चलने का समय है।
मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन का आरंभ करते हुए अपने संबोधन की शुरुआत मोरक्को में आए भीषण भूकंप से प्रभावित लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करके की।
उन्होंने कहा, ‘‘मुश्किल की इस घड़ी में पूरा विश्व समुदाय मोरक्को के साथ है और हम उन्हें हरसंभव सहायता देने के लिए तैयार हैं।’’
जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा समेत कई नेता हिस्सा ले रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग इस सम्मेलन में भाग नहीं ले रहे।
नयी दिल्ली में आयोजित हो रहे जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की पहचान ‘भारत’ का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता के तौर पर पेश की गई है।
मोदी ने जब शिखर सम्मेलन को संबोधित किया, उस समय उनके सामने रखी नाम पट्टिका पर ‘भारत’ लिखा था।
मोदी ने 55 देशों वाले अफ्रीकी संघ का जी20 में स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम इस समूह को और समावेशी बनाएगा।
मोदी ने कहा, ‘‘मैं जी20 परिवार के स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ का स्वागत करते हुए सम्मानित महसूस कर रहा हूं। इससे जी20 मजबूत होगा और ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज भी मजबूत होगी।’’
अफ्रीकी संघ के जी20 का स्थायी सदस्य बनते ही दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद ‘‘वैश्विक पुनर्निर्माण’’ ने कार्बन का कम उत्सर्जन करने वाले माध्यम अपनाने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए लचीले बनने और सतत समाज बनने की गति तेज करने का अनूठा अवसर दिया है।
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने अफ्रीकी संघ के जी20 का सदस्य बनने पर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ के जरिए खुशी जताई।
प्रधानमंत्री ने ‘सबका विकास’ की वकालत करते हुए कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता, उत्तर-दक्षिण विभाजन, पश्चिम एवं पूर्व के बीच अंतर, खाद्य प्रबंधन, ईंधन एवं उर्वरक प्रबंधन, आतंकवाद एवं साइबर सुरक्षा और स्वास्थ्य, ऊर्जा और जल सुरक्षा जैसी चुनौतियों के ठोस एवं स्थायी समाधान के लिए मिलकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
मोदी ने यहां ‘भारत मंडपम’ सम्मेलन केंद्र में सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘वैश्विक कोविड महामारी के बाद दुनिया ने विश्वास में कमी की नई चुनौती का सामना किया और दुर्भाग्य से, युद्धों ने इसे गहरा कर दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि यदि हम कोविड जैसी वैश्विक महामारी को हरा सकते हैं, तो हम विश्वास में कमी की इस चुनौती से भी पार पा सकते हैं। आज, भारत जी20 के अध्यक्ष के रूप में पूरी दुनिया से विश्वास की कमी को एक-दूसरे पर भरोसे में तब्दील करने की अपील करता है।’’
मोदी ने कहा, ‘‘अब समय आ गया है, जब पुरानी चुनौतियां हमसे नए समाधान चाहती हैं और इसीलिए हमें अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के वास्ते मानव-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना होगा।’’
मोदी ने यूक्रेन युद्ध को लेकर जी20 नेताओं के बीच गहरे मतभेदों के बीच यह बयान दिया। इन मतभेदों के कारण शिखर सम्मेलन के अंत में जारी होने वाली संयुक्त घोषणा के लिए सर्वसम्मति तक पहुंचने के वास्ते राजनयिकों को तय समय से अधिक देर तक काम करना पड़ा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में यह लोगों का जी20 बन गया है और 60 से अधिक शहरों में 200 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
जी20 के सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करते हैं।
मोदी ने कई बार इस बात पर जोर दिया है कि इस समूह को ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज भी सुननी चाहिए।
जी20 की 1999 में स्थापना के बाद से यह इसका पहला विस्तार है। इसकी स्थापना एशियाई वित्तीय सकंट के बाद वैश्विक आर्थिक एवं वित्तीय मामलों पर चर्चा के लिए वित्त मंत्रियों और देशों के सेंट्रल बैंक के गवर्नर को मंच मुहैया कराने के मकसद से की गई थी।
इसे 2007 में पैदा हुए वैश्विक आर्थिक और वित्तीय संकट के मद्देनजर 2008 में सरकार के प्रमुखों के स्तर तक उन्नत किया गया था और 2009 में इसे ‘‘अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच’’ के तौर पर नामित किया गया था।
जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन हर वर्ष होता है और बारी-बारी से सभी सदस्य देशों को इसका अध्यक्ष बनाया जाता है।